तुम चाहते हो कि मैं 
तुम्हें तुम्हारे लिए चाहूँ 
क्यूँ भला 
क्या कभी तुम ने 
मुझे मेरे लिए चाहा 
नहीं ना 
दर-अस्ल 
ये चाहने और न चाहने की 
ख़्वाहिश ही 
बे-मा'नी है 
बा-मा'नी है तो 
बस चाहत 
मेरी चाहत 
तुम्हारी चाहत 
या फिर 
किसी और की चाहत
        नज़्म
चाहत
दीप्ति मिश्रा

