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कभी तू ने ये सोचा है | शाही शायरी
kabhi tu ne ye socha hai

नज़्म

कभी तू ने ये सोचा है

विश्मा ख़ान विश्मा

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कभी तू ने ये सोचा है
कि तेरे लफ़्ज़ सुन लूँ तो

मिरे दिल में हज़ारों फूल खिलते हैं
मिरे कानों की शुनवाई

ख़यालों में हसीं पैकर बनाती है
ये तेरी संदली आवाज़

मेरी साँस की कूकू
बढ़ाती है

कभी तू ने ये सोचा है
भला कब तक निभाउँगी

मगर तू याद रखना
एक दिन मैं लौट आऊँगी