बार बार रौंदा गया एहसास
कुचला गया जज़्बा
तोड़ा गया यक़ीन
मिटाया गया निशाँ
दफ़नाया गया ज़िंदा
उजाड़ा गया बे-वज्ह
फिर भी
न मरा
न टूटा
न छूटा
दिलों की नर्म-नाज़ुक
मिट्टी में
फलता फूलता रहा
मोहब्बत का
नन्हा बीज
नज़्म
बीज
ख़दीजा ख़ान
नज़्म
ख़दीजा ख़ान
बार बार रौंदा गया एहसास
कुचला गया जज़्बा
तोड़ा गया यक़ीन
मिटाया गया निशाँ
दफ़नाया गया ज़िंदा
उजाड़ा गया बे-वज्ह
फिर भी
न मरा
न टूटा
न छूटा
दिलों की नर्म-नाज़ुक
मिट्टी में
फलता फूलता रहा
मोहब्बत का
नन्हा बीज