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भगवान 'कृष्ण' की तस्वीर देख कर | शाही शायरी
bhagwan krishn ki taswir dekh kar

नज़्म

भगवान 'कृष्ण' की तस्वीर देख कर

कँवल एम ए

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मुझे तेरे तसव्वुर से ख़ुशी महसूस होती है
दिल-ए-मुर्दा में भी कुछ ज़िंदगी महसूस होती है

ये तारों की चमक में है न फूलों ही की ख़ुश्बू में
तिरी तस्वीर में जो दिलकशी महसूस होती है

तुझे मैं आज तक मसरूफ़-ए-दर्स-ओ-वा'ज़ पाता हूँ
तिरी हस्ती मुकम्मल आगही महसूस होती है

ये क्या मुमकिन नहीं तू आ के ख़ुद अब इस का दरमाँ कर
फ़ज़ा-ए-दहर में कुछ बरहमी महसूस होती है

उजाला सा उजाला है तिरी शम-ए-हिदायत का
शब-ए-तीरा में भी इक रौशनी महसूस होती है

मैं आऊँ भी तो क्या मुँह ले के आऊँ सामने तेरे
ख़ुद अपने-आप से शर्मिंदगी महसूस होती है

तख़य्युल में तिरे नज़दीक जब मैं ख़ुद को पाता हूँ
मुझे उस वक़्त इक-तरफ़ा ख़ुशी महसूस होती है

तू ही जाने कहाँ ले आई मुझ को आरज़ू तेरी
ये मंज़िल अब सरापा बे-ख़ुदी महसूस होती है

'कँवल' जिस वक़्त खो जाता हूँ मैं उस के तसव्वुर में
मुझे तो ज़िंदगी ही ज़िंदगी महसूस होती है