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बे-रहम शायरों के जुर्म | शाही शायरी
be-rahm shaeron ke jurm

नज़्म

बे-रहम शायरों के जुर्म

तनवीर अंजुम

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तुम्हें पूरा हक़ है
नाराज़ होने का

हम बे-रहम शायरों से
हम ने तुम्हें इक तमाशा बना दिया

तुम्हारे दिल में दफ़्न
गहरे-तरीन राज़ों तक

हमारी नज़र पहुँच गई
और हम ने तुम्हें शर्मिंदा कर दिया

दुनिया के सामने
तुम्हारे राज़ों पर नज़्में लिख कर

तुम हमारे जुर्म पर
हमें हथकड़ी न लगवा सके

हमें अदालत न ले जा सके
न फाँसी पर चढ़वा सके

तुम हमारे ख़ून से
अपने हाथ रंगने के लिए भी

ख़ुद को आमादा न कर सके
गो ये कुछ ऐसा मुश्किल भी न था

लेकिन हमें अंदाज़ा है
तुम हम से बदला लेने की ताक़त रखते हो

और इरादा भी
इस बे-रहम दुनिया को छोड़ देने के बावजूद!