मैं ने 
कभी नहीं नापा 
बात की बुलंदी को 
दानिश ने 
मुझे जिहालत से रू-शनास करा दिया 
किसी भी मुक़ाबले में 
मेरा नाम नहीं होता 
मैं एक वसवसे की तरह 
ज़िंदगी के आस-पास रहता हूँ 
मुझ से बयान ही नहीं होती 
एक दिल की दास्तान 
मैं ने 
मोहब्बत से सीख लिया है 
नाकाम कैसे होते हैं
        नज़्म
बयान
मुस्तफ़ा अरबाब

