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बांदियाँ | शाही शायरी
bandiyan

नज़्म

बांदियाँ

नादिया अंबर लोधी

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मेरे मालिक
क्या हम बांदियाँ हैं

जो आग में जला कर मार दी जाएँ
हम वो जवानियाँ हैं

मोहब्बत के नाम पर जो मसल दी जाएँ
हम वो कलियाँ हैं

हवस का निशाना बना कर
जिन के पर नोच लिए जाएँ

हम वो तितलियाँ हैं
जो मस्लहत के नाम पर

क़ुर्बान कर दी जाएँ हम वो बेटियाँ हैं
जो शरई जाएदाद से महरूम कर दी जाएँ हम वो बहनें हैं

मेरे मालिक
क्यूँ हम बांदियाँ हैं