गुज़शता आल-पार्टीज़-कांफ्रेंस में
तय हुआ था
कि शहर भर की तारीकी
आँख के बोसीदा पियालों में उंडेल कर
सुब्ह, दोपहर, शाम बा-क़ाएदगी से इस्तिमाल की जाए
तो अँधेरों में जूतियाँ टटोलना
सहल हो जाएगा
कौन नंगे पाँव महल की तरफ़ जाए
कि रास्ते में उचक्कों के ख़ौफ़ से
काँच की ज़मीन बिछा दी गई है
हमारे एहतजाजी बैनर्ज़ ज़ोर-दार हवा चलने के बाइस
हमारे सरों पे उलट पड़े
और उभरे हुए गूमड़ों को तारीकी ने छुपा लिया
इस के बावजूद हमारी आँखें
अँधेरे में देख सकती हैं
देख सकती हैं कि दाएँ बाएँ रहने वालों ने
आँखों को बदन में ग़ैर-ज़रूरी समझा
और महल वालों को अतिय्या कर दीं
अगर इस बरस बैरूनी गाहकों की आमद-ओ-रफ़्त
महदूद रही तो ऐन मुमकिन है
हमारी जूतियाँ हमारे सरों से उतार कर
पैरों में पहना दी जाएँ

नज़्म
बा-इज़्ज़त तरीक़े से जीने के जतन
सिदरा सहर इमरान