EN اردو
ब-नोक-ए-शमशीर | शाही शायरी
ba-nok-e-shamshir

नज़्म

ब-नोक-ए-शमशीर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

;

मेरे आबा कि थे ना-महरम-ए-तौक़-ओ-ज़ंजीर
वो मज़ामीं जो अदा करता है अब मेरा क़लम

नोक-ए-शमशीर पे लिखते थे ब-नोक-ए-शमशीर
रौशनाई से जो मैं करता हूँ काग़ज़ पे रक़म

संग ओ सहरा पे वो करते थे लहू से तहरीर