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औरत के लिए | शाही शायरी
aurat ke liye

नज़्म

औरत के लिए

नौफ़िल आर्या

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आओ
कि एक पत्थर

ख़ामोश झील में उतार दें
सुकूत

लहरों में बदल दें
कि ठहराव

अज़ाब है
और

जुमूद
क़ातिल!!

मसीहाई रगों में ले कर
आफ़ियत की चटानों में

कहीं खो जाओगे
तो तुम आओ

अभी!!
मज़लूम का दर्द पनपने न पाए!!!