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अपने बच्चे के नाम | शाही शायरी
apne bachche ke nam

नज़्म

अपने बच्चे के नाम

ख़लील-उर-रहमान आज़मी

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ऐ मिरे सिन्न-ओ-साल के हासिल
मेरे आँगन के नौ-दमीदा गुलाब

मेरे मासूम ख़्वाब के हम-शक्ल
मेरी मर्यम के साया-ए-शादाब

सुब्ह-ए-तख़्लीक़ का सलाम तुझे
ज़िंदगी तुझ को कहती है आदाब

ऐ मुक़द्दस ज़मीं के शोला-ए-नौ
तू फ़रोज़ाँ हो उन फ़ज़ाओं में

मेरे सीने की जो अमानत हैं
जो मिरी ना-रसा दुआओं में

इस तरह मुस्कुराती है जैसे
नग़्मगी दूर की सदाओं में

मुझ को अज्दाद से विरासत में
वो ख़राबे मिले कि जिन में रहा

उम्र भर पाएमाल ओ ख़ाक-बसर
मेरा हिस्सा रहा ग़म-ए-फ़र्दा

मुझ को मेरे लहू में नहला कर
जिस ने क़ैद-ए-हयात में रक्खा

ऐ मिरी रूह-ए-फ़न के अक्स-ए-जमील
तुझ को मेरी सी ज़िंदगी न मिले

जो न मैं हो सका वो तो हो जाए
काश तू मेरा जा-नशीं न बने

मैं तसव्वुर में भी जहाँ न गया
उन दयारों में तेरा नाम चले