EN اردو
एंटीना के नेज़े | शाही शायरी
antina ke neze

नज़्म

एंटीना के नेज़े

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

;

गुम हुए यूँ कि कभी मेरे शनासा ही न थे
कुछ लिखा होता तुम्हें मुझ से शिकायत क्या है

ख़बर कब आए हो कैसे सुनाओ प्यारे
क्या ख़बर लाए हो यारों की हिकायत क्या है

उस ने ये कुछ न कहा
और कहा तो इतना

खेल दिल-चस्प है नज़्ज़ारे करो
और फिर एक ख़ला

एक गिराँ-बार ख़मोशी की अज़िय्यत ले कर
मैं ये कहता हुआ उठ आया

कि हाँ
खेल है दिलचस्प बहुत