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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
सईद क़ैस
एक सुब्ह का तारा सर पे आसमाँ ओढ़े रौशनी के ज़ीने से रोज़ उतर के आता है और इस नए घर के अध-खुले दरीचे में आ के बैठ जाता है हाथ के इशारों से दाएरे बनाता है और मैं मोहब्बत की बूँद बूँद किरनों में रोज़ डूब जाता हूँ