आर्टिस्ट अपनी ये तस्वीर मुकम्मल कर ले
हाँ ये होंट और भी पतले हों ये आँखें और भी मस्त
लेकिन इन गालों की सुर्ख़ी को ज़रा कम कर दे
मैं ने शायद इन्हें मुरझाया हुआ पाया है
हल्के आँसू से इन आँखों को ज़रा नम कर दे
मैं ने अफ़्सुर्दा निगाहों से यही समझा है
आज भी मैं ने सर-ए-राह उसे देखा है
एक शाहकार उसे जल्द बना ले ऐ दोस्त
वर्ना तस्वीर का ख़ाका ही बदलना होगा
नज़्म
अंदेशा
सलाम मछली शहरी