इक निगार-ए-तन्हाई
अंजुमन से नालाँ भी अंजुमन-तलब भी है
एक वहम-ए-यकताई
ज़िंदगी का सामाँ भी मौत का सबब भी है
इक जुनून-ए-दाराई
ख़ुद रक़ीब है अपना ख़ुद हरीफ़-ए-यज़्दाँ है
ख़्वाब है तो ईक़ाँ है वहम है तो ईमाँ है
इक हिसार-ए-आईना
संग-ज़न की ज़द में है
एक बे-कराँ क़ुल्ज़ुम
आब-ए-जू की हद में है
इक फ़ना का ज़िंदानी
हसरत-ए-अबद में है

नज़्म
अना
अज़ीज़ क़ैसी