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अल्फ़ाज़ के तारीक बादल | शाही शायरी
alfaz ke tarik baadal

नज़्म

अल्फ़ाज़ के तारीक बादल

पैग़ाम आफ़ाक़ी

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अल्फ़ाज़ के जादू से
सेहर-कारों ने हर वक़्त

पत्थर को कभी शीशा
कभी आग को शबनम

नफ़रत को मोहब्बत कभी इंसान को हैवान..... हैवान बनाया
जिस राह पे चलते रहे गुमराह मुसाफ़िर

उन राहों को हर मोड़ पे, बे-मोड़ पे
इस तरह घुमाया

कि जैसे ख़लाओं में सभी घूम रहे हों
दीवानों की मानिंद

गर्दिश ने उन्हें और भी
दीवाना बनाया

दीवानों के क़दमों में ये लटकी हुई ज़ंजीर अल्फ़ाज़ की
अब चीख़ रही है

अल्फ़ाज़ पे दीवाने भरोसा नहीं करते