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अकेली औरत और टी-वी | शाही शायरी
akeli aurat aur TV

नज़्म

अकेली औरत और टी-वी

मोहम्मद अल्वी

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शौहर की मौत के ब'अद
घर में वो

अकेली रह गई थी!
वक़्त काटे न कटता था

छोटा सा घर
बहुत बड़ा लगता था!

गुज़रा हुआ
अच्छा समय याद आता था

तन्हाई का एहसास
अंदर ही अंदर

खाए जाता था!
घबरा के उस ने

टी-वी पाल लिया
हँसते गाते टी-वी ने

उसे सँभाल लिया!!