मिरी दुनिया बहुत तेज़ी से ख़ाली हो रही है
अजब मुश्किल है मेरी
किसी की आँख में है कौन सा चेहरा मिरा ये भूल जाता हूँ
मगर इल्ज़ाम देना हाफ़िज़े को भी ग़लत होगा
ये मुमकिन ही नहीं है
कोई अपने सारे चेहरे याद रख पाए
नतीजा ये
कि हर जाते हुए लम्हे के हम-राह
मिरी तन्हाई बढ़ती जा रही है
मैं अपना एक चेहरा भूलता हूँ
और तअल्लुक़ ख़त्म हो जाता है कोई

नज़्म
अजब मुश्किल है मेरी
शारिक़ कैफ़ी