एक छोटा सा लकड़ी का घर
और आँगन में फिरती हुई मुर्ग़ियाँ
बीच में इक कुआँ
और चारों तरफ़ खेत ही खेत
खेतों में इक रास्ता हो
और रस्ते पे
इक पेड़ की छाँव में
वक़्त सस्ता रहा हो!
नज़्म
ऐसा हो
मोहम्मद अल्वी
नज़्म
मोहम्मद अल्वी
एक छोटा सा लकड़ी का घर
और आँगन में फिरती हुई मुर्ग़ियाँ
बीच में इक कुआँ
और चारों तरफ़ खेत ही खेत
खेतों में इक रास्ता हो
और रस्ते पे
इक पेड़ की छाँव में
वक़्त सस्ता रहा हो!