दामन-ए-लाला-ज़ार में
आलम-ए-पुर-बहार देख
कल्ला-ए-कोहसार पर
जल्वा-ए-ज़र-निगार देख
आब-ए-रवाँ की बात क्या
ख़ाक पे है निखार देख
ऐ दिल-ए-बे-क़रार देख
देख नशात बाग़ में
जल्वा-ए-सुब्ह का समाँ
कैफ़ ओ नशात है ज़मीं
नूर ओ सुरूर आसमाँ
आह ये मंज़र-ए-जमील
हाए ये जाँ-फ़ज़ा समाँ
औज-ए-फ़लक से है रवाँ
नूर का आबशार देख
ऐ दिल-ए-बे-क़रार देख
धार के कश्तियों का रूप
''डल'' पे रवाँ है ज़िंदगी
चार तरफ़ फ़ज़ाओं में
इत्र-फ़शाँ है ज़िंदगी
बाद-ए-दज़ां है ज़िंदगी
शोला-ब-जाँ है ज़िंदगी
चर्ख़-ए-तख़य्युलात पर
काहकशाँ है ज़िंदगी
चेहरा-ब-चेहरा रू-ब-रू
हुस्न का ये निखार देख
ऐ दिल-ए-बे-क़रार देख
ख़्वाह ''वुलर'' की झील है
ख़्वाह फ़ज़ा-ए-पहल-गाम
एक से बढ़ के एक है
जो भी नज़र में है मक़ाम
देख कि उन फ़ज़ाओं में
फूल शराब के हैं जाम
घास है फ़र्श-ए-मख़मलीं
ज़र्रे हैं आसमाँ-मक़ाम
और नहीं तुझे नसीब
एक भी लम्हे का क़याम
मौज-ए-नसीम-ए-सुब्ह से
राज़ ये आश्कार देख
ऐ दिल-ए-बे-क़रार देख
नज़्म
ऐ दिल-ए-बे-क़रार देख
जगन्नाथ आज़ाद