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अभी तो मैं जवान हूँ | शाही शायरी
abhi to main jawan hun

नज़्म

अभी तो मैं जवान हूँ

अख़्तर पयामी

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अभी तो मैं जवान हूँ
जवान हो तो ज़िंदगी की नब्ज़ गुदगुदा तो दो

जवान हो तो वक़्त की सियाहियाँ मिटा तो दो
ये आग लग रही है क्यूँ उसे ज़रा बुझा तो दो

अभी तो मैं जवान हूँ
जवान हो तो आँधियों से डर रहे हो किस लिए

जवान हो तो बे-कसी से मर रहे हो किस लिए
उरूस-ए-नौ की तरह तुम सँवर रहे हो किस लिए

अभी तो मैं जवान हूँ
जवान हो तो शीशा-ओ-शराब ज़िंदगी नहीं

जवान हो तो ज़िंदगी में सिर्फ़ इक हँसी नहीं
फ़लक पे बदलियाँ भी हैं फ़लक पे चाँदनी नहीं

अभी तो मैं जवान हूँ
जवान हो तो हो गए हो ज़िंदगी पे बार क्यूँ

जवान हो तो दर ही से पलट गई बहार क्यूँ
दिमाग़ हसरतों का है बना हुआ मज़ार क्यूँ

अभी तो मैं जवान हूँ
जवान हो तो ज़िंदगी से काम ले के बढ़ चलो

जवान हो तो हुर्रियत का नाम ले के बढ़ चलो
दयार-ए-इंक़लाब का पयाम ले के बढ़ चलो