EN اردو
अभी कुछ दिन लगेंगे | शाही शायरी
abhi kuchh din lagenge

नज़्म

अभी कुछ दिन लगेंगे

असग़र नदीम सय्यद

;

अभी कुछ दिन लगेंगे ख़्वाब को ताबीर होने में
किसी के दिल में अपने नाम की शम्अ जलाने में

किसी के शहर को दरयाफ़्त करने में
किसी अनमोल साअत में किसी नाराज़ साथी को ज़रा सा पास लाने में

अभी कुछ दिन लगेंगे
दर्द का परचम बनाने में

पुराने ज़ख़्म पे मरहम लगाने में
मोहब्बत की कविता को हवा के रुख़ पे लाने में

पुरानी नफ़रतों को भूल जाने में
अभी कुछ दिन लगेंगे

रात की दीवार में इक दर बनाने में
मुक़द्दर में लगी इक गाँठ को आज़ाद करने में

नए कुछ मरहले तस्ख़ीर करने में
मिरे 'ग़ालिब', मिरे 'टैगोर' को अपना बनाने में

अभी कुछ दिन लगेंगे
दश्त में फूलों का गुल-दस्ता सजाने में

अभी कुछ दिन लगेंगे
मगर ये दिन ज़ियादा तो नहीं होंगे

बस इक मौसम की दूरी पर
कहीं हम तुम मिलेंगे

बस इक साअत की नज़दीकी में
बाहम मशवरे होंगे

बस इक गुज़रे हुए कल से परे
हम पास बैठेंगे

बहुत सा दरस सह लेंगे
बहुत सी बात कर लेंगे!