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अब्बा के नाम | शाही शायरी
abba ke nam

नज़्म

अब्बा के नाम

अतीक़ुल्लाह

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इस लम्हे
कि तुम मेरे साथ हो

ख़ुदा मेरे नज़दीक है
मैं उस के क़दमों पर सर रख देता हूँ

अपनी कमियों, बद-नसीबों और बे-वक़ूफ़ियों को भूल कर
उस के शफ़क़त भरे हाथों का लम्स

अपनी पीठ पर महसूस करता हूँ
देखते देखते

हरा-भरा दरख़्त बन जाता हूँ
जैसे

में एक नहीं, कई ज़िंदगी जी रहा हूँ
जैसे

मैं एक नहीं, कई अशिया में बदल गया हूँ
छोटे से छोटे ज़र्रे में

काएनात की काएनात सरसराती है
तमाम रास्ते

मुझे अपनी तरफ़ आते हुए दिखाई देते हैं
लगता है

थोड़ी देर के लिए ज़मीन रुक गई है
लोगों ने

अपनी नफ़रतें
अपनी जेबों में भर ली हैं

और मुझे
ख़ुश-आमदीद कह रहे हैं