मैं उस की आँखों को देखता रहता हूँ
मगर मेरी समझ में कुछ नहीं आता
मैं उस की बातों को सुनता रहता हूँ
मगर मेरी समझ में कुछ नहीं आता
अब अगर वो कभी मुझ से मिले
तो मैं उस से बात नहीं करूँगा
उस की तरफ़ देखूँगा भी नहीं
मैं कोशिश करूँगा
मेरा दिल कहीं और मुब्तला हो जाए
अब मैं उसे याद बना देना चाहता हूँ
नज़्म
अब मैं उसे याद बना देना चाहता हूँ
मुनीर नियाज़ी