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आँसू | शाही शायरी
aansu

नज़्म

आँसू

प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’

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आँसू की कोई क़ीमत नहीं होती
बेश-क़ीमत तो होता है मोती

लेकिन सुनो
इन सब से बढ़ कर है

वक़्त की उलट-फेर है
वक़्त की उलट-फेर

आँसू को मोती
मोती को आँसू

होते नहीं लगती देर
मेरी राय मानो

दोनों की क़द्र जानो