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आख़िरी उम्र की बातें | शाही शायरी
aaKHiri umr ki baaten

नज़्म

आख़िरी उम्र की बातें

मुनीर नियाज़ी

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वो मेरी आँखों पर झुक कर कहती है ''मैं हूँ''
उस का साँस मिरे होंटों को छू कर कहता है ''मैं हूँ''

सूनी दीवारों की ख़मोशी सरगोशी में कहती है ''मैं हूँ''
''हम घायल हैं'' सब कहते हैं

मैं भी कहता हूँ ''मैं हूँ''