EN اردو
आगही | शाही शायरी
aagahi

नज़्म

आगही

नसरीन अंजुम भट्टी

;

हौज़ के साथ साथ उगी सब्ज़ घास पर
धूप की लरज़िशें

धीमी धीमी दूध की बे-मज़ा कच्ची कच्ची महक
आगही

आँखें
आँखों के अंदर भी आँखें उग आई हैं

क्या
घास की शाख़ होती नहीं न सही

घास की शाख़ से फिर भी
चिमटे हुई सब्ज़ टिड्डे ने भरपूर सी नींद में

जागते लहलहाते
पलकें झपकते हुए फूल को खा लिया