हज़ारों हाथों को अपनी जानिब बुलंद पा कर
वो समझा सब उसे सलाम कर रहे हैं
और ख़िराज-अक़ीदत पेश कर रहे हैं
वो ख़ुश हुआ ओर आगे बढ़ गया
उन बे-शुमार आँखों में झाँके बग़ैर
जिन में घोर तिरस्कार भरा था
नज़्म
लीडर
मुश्ताक़ अली शाहिद
नज़्म
मुश्ताक़ अली शाहिद
हज़ारों हाथों को अपनी जानिब बुलंद पा कर
वो समझा सब उसे सलाम कर रहे हैं
और ख़िराज-अक़ीदत पेश कर रहे हैं
वो ख़ुश हुआ ओर आगे बढ़ गया
उन बे-शुमार आँखों में झाँके बग़ैर
जिन में घोर तिरस्कार भरा था