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उसी फ़ितरत में रौशन हैं | शाही शायरी
usi fitrat mein raushan hain

नज़्म

उसी फ़ितरत में रौशन हैं

यासमीन हमीद

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वो हँसमुख और हसीं लड़की
जो अब तक मुझ में ज़िंदा है

नहीं बदली है वो अब तक
उसी फ़ितरत में रौशन है

उसी हैरत में ज़िंदा है
गुज़रते वक़्त के हम-रह

बहुत मंज़र बदलते हैं
हुआ के रुख़ बदलते हैं

हमारी ज़ात के यूँ तो
सभी मौसम बदलते हैं

नहीं बदली है वो अब तक
वो हँसमुख और हसीं लड़की

मगर मैं जानती कब हूँ
वो मुझ में मर चुकी है

या है वो ज़िंदा