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चुपके चुपके रोया जाए | शाही शायरी
chupke chupke roya jae

नज़्म

चुपके चुपके रोया जाए

तरन्नुम रियाज़

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शाम बुझी सी पंछी चुप
सीने के अंदर सन्नाटा

और रूह में नग़्मे ग़म-आगीं
दिल के सब ज़ख़्मों को अश्कों से धोया जाए

कुछ लम्हों को चुपके चुपके रोया जाए