महबूब की मानिंद इठलाए
मा'शूक़ की सूरत शरमाए
हरियाली का आँचल ओढ़े
हर शाख़ हवा में रक़्साँ है
मैं प्यार-भरी नज़रों से उन्हें
मुस्काती देखे जाती हूँ
शामों में पेड़ों को तकना
है मेरी नज़र की अय्याशी

नज़्म
अय्याशी
तरन्नुम रियाज़
नज़्म
तरन्नुम रियाज़
महबूब की मानिंद इठलाए
मा'शूक़ की सूरत शरमाए
हरियाली का आँचल ओढ़े
हर शाख़ हवा में रक़्साँ है
मैं प्यार-भरी नज़रों से उन्हें
मुस्काती देखे जाती हूँ
शामों में पेड़ों को तकना
है मेरी नज़र की अय्याशी