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अय्याशी | शाही शायरी
ayyashi

नज़्म

अय्याशी

तरन्नुम रियाज़

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महबूब की मानिंद इठलाए
मा'शूक़ की सूरत शरमाए

हरियाली का आँचल ओढ़े
हर शाख़ हवा में रक़्साँ है

मैं प्यार-भरी नज़रों से उन्हें
मुस्काती देखे जाती हूँ

शामों में पेड़ों को तकना
है मेरी नज़र की अय्याशी