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ख़ूब-सूरती | शाही शायरी
KHub-surati

नज़्म

ख़ूब-सूरती

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

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चेहरे बे-शुमार चेहरे
नज़र आते हैं ज़िंदगी की राहों पर

नाक नक़्श नहीं हो बहुत मुख़्तलिफ़
उन में से एक ही चेहरा

सब से हसीन लगता है क्यूँ
जब हक़ीक़त में ऐसा है नहीं

क्या सच ही कहा गया है कि
ख़ूब-सूरती

देखने वालों की आँखों में बस्ती है
या फिर इश्क़ करने वाले

हुस्न को सही पहचानते हैं
रूह की नज़रों से