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नेन्सी | शाही शायरी
nensi

नज़्म

नेन्सी

तनवीर अंजुम

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सहरा में जहाँ कैक्टस के दरख़्त ज़ियादा हैं
उस ने इक साएबान और इक बेंच बनाई है

जिस पर नेन्सी आराम से उस की आग़ोश में
लेट या बैठ सकती है

पूरे चाँद की रात में
नेन्सी उस से मिलने ज़रूर आती है

और इस बेंच पर
उस के काँधे पर सर रख कर

उस से बातें करती है
या वो ख़ामोशी से

चाँद सहरा और कैक्टस के दरख़्तों को देखते रहते हैं
उस दौरान वो अपना दायाँ हाथ

नेन्सी की कमर के गिर्द डाले रहता है
अगर नेन्सी को नींद आ जाती है

वो बिल्कुल साकित हो जाता है
ताकि वो जितनी देर सो सकती है

सोती रहे
नेन्सी

जो पटीर की बीवी
और डगलस की बहन है

और पूरे चाँद की रात में
उन्हें धोका दे कर उस से मिलती है

अगर किसी रात बेंच पर
देर तक सोती रह जाए

वो तेज़ रफ़्तार गाड़ी और शिकारी बंदूक़ के साथ
नेन्सी को ढूँडते हुए आ जाते हैं

और उसे अकेला सोता हुआ पा कर
गाड़ी में डाल कर ले जाते हैं