सुना है मैं ने कि अब सितारे
तुम्हारी दहलीज़ से गुज़र कर
बिखरने लगते हैं आसमाँ पर
अज़ल से आबाद इस जहाँ पर
सुना है मैं ने कि कुछ परिंदे
हवा से महरूम बादबाँ पर
तुम्हारी आँखों के सामने से
गुज़र के दिन रात बैठते हैं
गली में फ़ुट-पाथ के किनारे
सुना है कुछ फूल खिल उठे हैं
जिन्हें कोई तोड़ता नहीं है
सड़क पे कुछ ख़्वाब हैं अधूरे
जिन्हें कोई जोड़ता नहीं है
नज़्म
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ज़ीशान साहिल