ज़ुल्म को तेरे ये ताक़त नहीं मिलने वाली
देख तुझ को मिरी बैअ'त नहीं मिलने वाली
लोग किरदार की जानिब भी नज़र रखते हैं
सिर्फ़ दस्तार से इज़्ज़त नहीं मिलने वाली
शहर तलवार से तुम जीत गए हो लेकिन
यूँ दिलों की तो हुकूमत नहीं मिलने वाली
रास्ते में उसे देखा है कई रोज़ के बा'द
आज तो रोने को फ़ुर्सत नहीं मिलने वाली
शफक़तें बाँटने के तौर भी सीखें वर्ना
उम्र बढ़ने से फ़ज़ीलत नहीं मिलने वाली
'मीर' की राह का मैं आप कुलाहों वाले
आप से मेरी तबीअ'त नहीं मिलने वाली
दिल दुखा माँ का तो फिर चैन नहीं पाओगे
घर को छोड़ा तो कहीं छत नहीं मिलने वाली
ग़ज़ल
ज़ुल्म को तेरे ये ताक़त नहीं मिलने वाली
तुफ़ैल चतुर्वेदी