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ज़ियादा सोचने वाले तुझे पता नहीं है | शाही शायरी
ziyaada sochne wale tujhe pata nahin hai

ग़ज़ल

ज़ियादा सोचने वाले तुझे पता नहीं है

वक़ार ख़ान

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ज़ियादा सोचने वाले तुझे पता नहीं है
जो तुझ को सीने लगाता है वो तिरा नहीं है

वहाँ पे हम भी हैं मौजूद ढूँडने वाली
सो तेरे दिल में अकेला तिरा ख़ुदा नहीं है

तुम्हें पता है कि तुम किस लिए हुए हो ज़लील
तुम्हारे पास कोई अपना नज़रिया नहीं है

हैं बद-दिमाग़ मिरी तरह मेरे सारे दोस्त
कोई भी दुनिया के बारे में सोचता नहीं है

ऐ लड़की तुझ को भला मुझ में क्या नज़र आया
'वक़ार' ख़ाम-सिफ़त तेरे काम का नहीं है