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ज़िंदगी तुझ को भुलाया है बहुत दिन हम ने | शाही शायरी
zindagi tujhko bhulaya hai bahut din humne

ग़ज़ल

ज़िंदगी तुझ को भुलाया है बहुत दिन हम ने

जाँ निसार अख़्तर

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ज़िंदगी तुझ को भुलाया है बहुत दिन हम ने
वक़्त ख़्वाबों में गँवाया है बहुत दिन हम ने

अब ये नेकी भी हमें जुर्म नज़र आती है
सब के ऐबों को छुपाया है बहुत दिन हम ने

तुम भी इस दिल को दुखा लो तो कोई बात नहीं
अपना दिल आप दुखाया है बहुत दिन हम ने

मुद्दतों तर्क-ए-तमन्ना पे लहू रोया है
इश्क़ का क़र्ज़ चुकाया है बहुत दिन हम ने

क्या पता हो भी सके इस की तलाफ़ी कि नहीं
शायरी तुझ को गँवाया है बहुत दिन हम ने