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ज़िंदगी मो'तबर तलाशे है | शाही शायरी
zindagi moatabar talashe hai

ग़ज़ल

ज़िंदगी मो'तबर तलाशे है

दीपक शर्मा दीप

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ज़िंदगी मो'तबर तलाशे है
वो खंडर में गुहर तलाशे है

देख वो ऊबने लगा मुझ से
और कोई सफ़र तलाशे है

दाग़ को दे गया मिरी सूरत
सूरते-नौ शजर तलाशे है

एक मैं पा के बेच आया हूँ
एक तू दर-ब-दर तलाशे है

'दीप' जैसे कई लुटे उस से
वो अभी नामवर तलाशे है