ज़िंदगी मौत के आग़ोश से पैदा करना
डूब कर बहर में तूफ़ान से खेला करना
आए रोना भी तो हँसने का इरादा करना
जोश-ए-ग़म में न कभी ज़ब्त से गुज़रा करना
देखना शौक़ की फ़ितरत को न रुस्वा करना
चश्म-ए-मुश्ताक़ यूँही उन का नज़ारा करना
रंग लाएगा अजब जल्वा-गह-ए-महशर में
ज़ौक़-ए-दीदार मिरा आप का पर्दा करना
मौज-ए-फ़ितरत का हर अंदाज़ है तख़रीब-शिआ'र
ऐ चमन-ज़ार बहारों से न रिश्ता करना
बहुत आसान था रब्बी-अरिनी कह देना
कोई आसाँ न था जल्वों का नज़ारा करना
चाक-दामानी-ए-गुल बर-सर-ए-मेराज-ए-बहार
है जुनूँ-ख़ेज़ अदा होश का दावा करना
सीखिए उक़्दा-कुशाई की अदाएँ 'जुम्बिश'
न हुआ कुछ भी ये तक़दीर का शिकवा करना

ग़ज़ल
ज़िंदगी मौत के आग़ोश से पैदा करना
जुंबिश ख़ैराबादी