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ज़िंदगी क्या है इब्तिला के सिवा | शाही शायरी
zindagi kya hai ibtila ke siwa

ग़ज़ल

ज़िंदगी क्या है इब्तिला के सिवा

द्वारका दास शोला

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ज़िंदगी क्या है इब्तिला के सिवा
शिकवा-ए-दर्द-ए-ला-दवा के सिवा

तेरी दुनिया में क्या नहीं मिलता
इक दिल-ए-दर्द-आश्ना के सिवा

चारा-ए-दर्द-ए-ज़िंदगी क्या है
आह-ए-जाँ-काह-ओ-इल्तिजा के सिवा

कुछ नहीं इख़्तियार में अपने
बंदगी के सिवा दुआ के सिवा

मैं ने हर बात उन से कह डाली
लेकिन इक हर्फ़-ए-मुद्दआ' के सिवा

मेरी इमदाद सब ने फ़रमाई
वाइज़-ओ-ज़ाहिद-ओ-ख़ुदा के सिवा

कौन समझेगा इन हक़ाएक़ को
'शो'ला'-ए-रिंद-ए-पारसा के सिवा