ज़िंदगी की यही कहानी है
साँस आनी और जानी है
तुम जो होते तो बात कुछ होती
अब कि बारिश तो सिर्फ़ पानी है
इक तरफ़ उस कि बोलती आँखें
इक तरफ़ मेरी बे-ज़बानी है
यूँ ही सुनते रहें अगर दिल की
याद रखिए कि जान जानी है
धूप लगती है बादलों जैसे
ये मोहब्बत की साएबानी है
बहती जाती हूँ एक समुंदर में
उस की यादों की बादबानी है
हर तरफ़ ख़ार ख़ार हैं गुलशन
बाग़बाँ ख़ूब बाग़बानी है
आश्ना हूँ मैं अब सराबों से
मैं ने सहरा की ख़ाक छानी है
'चाँदनी' की ग़ज़ल-वज़ल साहब
उस के ख़्वाबों की तर्जुमानी है
ग़ज़ल
ज़िंदगी की यही कहानी है
चाँदनी पांडे