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ज़िंदगी की शराब पानी है | शाही शायरी
zindagi ki sharab pani hai

ग़ज़ल

ज़िंदगी की शराब पानी है

रौशन लाल रौशन

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ज़िंदगी की शराब पानी है
और वो भी ख़राब पानी है

जाने वाली सदी सदा बर-लब
आने वाला अज़ाब पानी है

नफ़रतों का बदल मोहब्बत है
आग का इक जवाब पानी है

हर्फ़-ए-बातिन भी हर्फ़-ए-ज़ाहिर भी
एक ऐसी किताब पानी है

ये समुंदर समझ नहीं सकता
एक प्यासे का ख़्वाब पानी है

एक क़तरा नहीं है आँखों में
हर तरफ़ बे-हिसाब पानी है