ज़िंदगी ख़ार-ज़ार में गुज़री
जुस्तजू-ए-बहार में गुज़री
कुछ तो पैमान-ए-यार में गुज़री
और कुछ ए'तिबार में गुज़री
मंज़िल-ए-ज़ीस्त हम से सर न हुई
याद-ए-गेसू-ए-यार में गुज़री
फूल गिर्यां थे हर कली लर्ज़ां
जाने कैसी बहार में गुज़री
ज़िंदगानी तवील थी लेकिन
मौत के इंतिज़ार में गुज़री
आप से मिल के ज़िंदगी अपनी
जुस्तुजू-ए-क़रार में गुज़री
जो भी गुज़री बुरी भली 'सानी'
आप के इख़्तियार में गुज़री
ग़ज़ल
ज़िंदगी ख़ार-ज़ार में गुज़री
ज़रीना सानी