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ज़िक्र-ए-दुश्मन है नागवार किसे | शाही शायरी
zikr-e-dushman hai nagawar kise

ग़ज़ल

ज़िक्र-ए-दुश्मन है नागवार किसे

नसीम भरतपूरी

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ज़िक्र-ए-दुश्मन है नागवार किसे
तुम सुनाते हो बार बार किसे

माँग लूँ उम्र ख़िज़्र से लेकिन
तेरे वादे का ए'तिबार किसे

हाए बे-चैन कर दिया दम-ए-ख़्वाब
तू ने ऐ आह-ए-शोला-बार किसे

गालियाँ दे रहे हैं होंटों में
इस अदा पर न आए प्यार किसे

है 'नसीम' एक संग-दिल वो बुत
दिल को देता है मेरे यार किसे