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ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा | शाही शायरी
zamin par aasman kab tak rahega

ग़ज़ल

ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा

अजमल सिराज

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ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
ये हैरत का मकाँ कब तक रहेगा

नज़र कब आश्ना-ए-रंग होगी
तमाशा-ए-ख़िज़ाँ कब तक रहेगा

रहेगी गर्मी-ए-अनफ़ास कब तक
रगों में ख़ूँ रवाँ कब तक रहेगा

हक़ीक़त कब असर-अंदाज़ होगी
ख़सारे में जहाँ कब तक रहेगा

बदल जाएँगे ये दिन रात 'अजमल'
कोई ना-मेहरबाँ कब तक रहेगा