ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
ये हैरत का मकाँ कब तक रहेगा
नज़र कब आश्ना-ए-रंग होगी
तमाशा-ए-ख़िज़ाँ कब तक रहेगा
रहेगी गर्मी-ए-अनफ़ास कब तक
रगों में ख़ूँ रवाँ कब तक रहेगा
हक़ीक़त कब असर-अंदाज़ होगी
ख़सारे में जहाँ कब तक रहेगा
बदल जाएँगे ये दिन रात 'अजमल'
कोई ना-मेहरबाँ कब तक रहेगा
ग़ज़ल
ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
अजमल सिराज