EN اردو
ज़मीन लोगों से डर गई है | शाही शायरी
zamin logon se Dar gai hai

ग़ज़ल

ज़मीन लोगों से डर गई है

मोहम्मद अल्वी

;

ज़मीन लोगों से डर गई है
समुंदरों में उतर गई है

ख़मोशियों में सदा गजर की
ख़याल के पर कतर गई है

खड़े हैं बे-बर्ग सर झुकाए
हवा दरख़्तों को चर गई है

हमें तो नींद आएगी न लेकिन
ये रात भी तो ठहर गई है

कहाँ भटकते फिरोगे 'अल्वी'
सड़क से पूछो किधर गई है