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ज़माना क्या देखिए दिखाए न जाने क्या इंक़िलाब आए | शाही शायरी
zamana kya dekhiye dikhae na jaane kya inqilab aae

ग़ज़ल

ज़माना क्या देखिए दिखाए न जाने क्या इंक़िलाब आए

निहाल सेवहारवी

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ज़माना क्या देखिए दिखाए न जाने क्या इंक़िलाब आए
फ़लक के तेवर हैं ख़शम-गीं से ज़मीं के दिल में ग़ुबार सा है

कमाल-ए-दीवानगी तो जब है रहे न एहसास-ए-जैब-ओ-दामन
अगर है एहसास-ए-जैब-ओ-दामन तो फिर जुनूँ होशियार सा है

कुछ आज ऐसी ही जी पे गुज़री दबी हुई थी जो चोट उभरी
जिसे सँभाले हुआ था दिल में वो नाला बे-इख़्तियार सा है