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ज़हर तो ला-जवाब था उस का | शाही शायरी
zahr to la-jawab tha us ka

ग़ज़ल

ज़हर तो ला-जवाब था उस का

नासिर राव

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ज़हर तो ला-जवाब था उस का
दिन ही शायद ख़राब था उस का

जबकि मेरा सवाल सीधा था
फिर भी उल्टा जवाब था उस का

वो महज़ धूप का मुसाफ़िर था
हम-सफ़र आफ़्ताब था उस का

आँख जैसे कोई समुंदर हो
और लहजा शराब था उस का

मुतमइन था वो ज़ात से अपनी
ख़ुद ही वो इंतिख़ाब था उस का