ज़हे-ए-कोशिश-ए-कामयाब-ए-मोहब्बत
हमेशा रहे हम ख़राब-ए-मोहब्बत
सुकून-ए-मोहब्बत जो मुमकिन नहीं है
बढ़ा दीजिए इज़्तिराब-ए-मोहब्बत
झुकी जा रही हैं वो मासूम नज़रें
दिया जा रहा है जवाब-ए-मोहब्बत
बिला-वास्ता हम से आँखें मिलाओ
रहे दरमियाँ क्यूँ हिजाब-ए-मोहब्बत
तिरी बज़्म जन्नत थी लेकिन करूँ क्या
उठा ले गया इज़्तिराब-ए-मोहब्बत
न तरसा न तरसा मोहब्बत के साक़ी
पिला दे पिला दे शराब-ए-मोहब्बत
हुए हैं वो जिस दिन से नाराज़ 'शेरी'
तरक़्क़ी पे है इज़्तिराब-ए-मोहब्बत
ग़ज़ल
ज़हे-ए-कोशिश-ए-कामयाब-ए-मोहब्बत
शेरी भोपाली