ज़बान क्या है मोहब्बत की गुफ़्तुगू क्या है
ब-जुज़ निगाह के पैग़ाम-ए-आरज़ू क्या है
ये जान-ए-हुस्न-ओ-मुहब्बत है आरज़ू क्या है
न हो ये दिल में तो मैं क्या हूँ और तू क्या है
लहू जो गर्म न कर दे वो आरज़ू क्या है
जो आरज़ू से न गरमाए वो लहू क्या है
ख़ुदा करे न करे हुस्न से तजावुज़-ए-इश्क़
अभी तो मुझ से वही कह रहे हैं तू क्या है
तुझे भी भूल गए तेरे ढूँडने वाले
ये होश भी तो नहीं है कि जुस्तुजू क्या है
बजा कि ख़ून की गर्मी का नाम है इंसाँ
न हो जो गर्म-ए-मोहब्बत से वो लहू क्या है
ग़लत समझ के नहीं देखता हूँ तेरी तरफ़
ये देखता हूँ कि अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है
जिन्हें है तुझ से मोहब्बत वो जानते भी नहीं
कि रश्क कहते हैं किस चीज़ को अदू क्या है
रहे इलाही मिरे दिल की आबरू क़ाएम
सदफ़ में है ये गुहर दिल में आरज़ू क्या है
है उन की जुम्बिश-ए-अबरू पे आबरू का मदार
जो जानते भी नहीं हैं कि आबरू क्या है
सिवाए ज़ौक़-ए-नज़र और कुछ नहीं 'बिस्मिल'
ये फूल क्या हैं ये फूलों में रंग-ओ-बू क्या है
ग़ज़ल
ज़बान क्या है मोहब्बत की गुफ़्तुगू क्या है
बिस्मिल सईदी